संदेश

Arvind Kejriwal bail Delhi politics Kejriwal resignation Kejriwal corruption Supreme Court bail Delhi government controversy AAP party corruption Chief Minister resignation लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

केजरीवाल का इस्तीफा कहीं उंगली कटवाकर शहीद दिखने की कोशिश तो नहीं है?

चित्र
By: Yogesh Kumar Gulati  नजरिया : एक कट्टर ईमानदार की अग्नि परीक्षा या कट्टर राजनीतिक चाल? केजरीवाल की राजनीति: इस्तीफे का रहस्य और असल मंशा पर एक नज़र। अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से शुरुआत की, लेकिन धीरे-धीरे उनकी राजनीति ने कई सवाल खड़े किए हैं। हाल ही में, दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा ने एक बार फिर से राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। सवाल यह है कि चुनाव से ठीक पहले इस इस्तीफे के पीछे आखिर केजरीवाल की मंशा क्या है? क्या यह सिर्फ जनता की सहानुभूति पाने की कोशिश है या फिर कोई गहरी राजनीतिक चाल? चलिए समझते हैं अरविंद केजरीवाल के इस त्याग के पीछे की कहानी। 1. केजरीवाल की इस्तीफे की टाइमिंग: एक सोची-समझी चाल? अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा ऐसे वक्त पर आया है जब दिल्ली चुनाव नजदीक हैं। यह समझना जरूरी है कि इससे पहले उन्होंने न शराब घोटाले के आरोपों के समय इस्तीफा दिया, न जब वे जेल गए। अब जब चुनाव कुछ ही महीनों में हैं, केजरीवाल अचानक से इस्तीफे की घोषणा करते हैं और "जनता की अदालत" में ज...

आपके इस्तीफे में ही समझदारी है, केजरीवाल जी!

चित्र
अरविंद केजरीवाल को सशर्त जमानत – क्या दिल्ली की राजनीति का भविष्य खतरे में है? By: Yogesh kumar Gulati  अरविंद केजरीवाल, जो कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का प्रतीक माने जाते थे, आज खुद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें सशर्त जमानत मिलना, इस बात का संकेत है कि उनके खिलाफ लगे आरोप गंभीर और जांच योग्य हैं। यह जमानत किसी राजनीतिक जीत का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जो अपने अंजाम तक पहुंचने में देर नहीं करेगी । केजरीवाल को मिले इस जमानत के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या वे मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार रखते हैं? 2015 में दिल्ली की जनता ने उन्हें एक ईमानदार नेता मानकर भारी बहुमत से सत्ता सौंपी थी, लेकिन अब उनके नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। शराब घोटाले जैसे मामलों ने उनकी पार्टी के भ्रष्टाचार-विरोधी दावों को खोखला साबित कर दिया है। क्या जनता से विश्वासघात हुआ है? आज केजरीवाल का यह हाल उन नेताओं की तरह हो गया है जो जनता से किए गए वादों से पीछे हट चुके हैं। जिन वादों के दम पर उन्होंने दिल्ली की जनता का ...