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पाकिस्तान में गदर पार्ट - 2

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इमरान खान को जेल से छुड़ाने सड़कों पर जन सैलाब.... सेना को जनता की सीधी चुनौती...  क्या पाकिस्तान में भी बांग्लादेश की तरह गदर होने वाला है? पाकिस्तान की राजनीति इस समय बड़े उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है, और इस पूरे परिदृश्य के केंद्र में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान हैं। 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सत्ता से बाहर किए जाने के बावजूद, इमरान खान की लोकप्रियता और उनका प्रभाव अब भी पाकिस्तान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इमरान खान के समर्थन में हाल ही में हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों ने न केवल पाकिस्तान की सरकार बल्कि सेना को भी बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। अंतरराष्ट्रीय जगत भी पाकिस्तान की इस आंतरिक उथल-पुथल को बारीकी से देख रहा है, ताकि समझा जा सके कि इमरान खान की वापसी का पाकिस्तान और क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा। इमरान खान का उदय और सत्ता से पतन इमरान खान की राजनीति में यात्रा एक क्रिकेट आइकॉन से लेकर 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने तक का सफर किसी क्रांतिकारी बदलाव से कम नहीं था। "नया पाकिस्तान" और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार का उनका वादा जनता में गहराई...

इस तरह बीजेपी के दंगल को आसान बनाएगी आप?

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हरियाणा में बीजेपी का रास्ता साफ करेंगे केजरीवाल! By: Yogesh Kumar Gulati  हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने गठबंधन की संभावनाओं को नकारते हुए 20 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, जिनमें कुछ सीटें वो भी शामिल हैं जिन पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। यह फैसला हरियाणा में विपक्षी एकता को चुनौती देता नजर आता है और चुनावी समीकरण को दिलचस्प बना रहा है। AAP के इस कदम से यह साफ हो गया है कि वह इस चुनाव में पूरी 90 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है। इससे पहले भी AAP के नेताओं ने हरियाणा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के संकेत दिए थे, लेकिन अब पार्टी का यह ऐलान साफ करता है कि वह कांग्रेस के साथ किसी गठबंधन की उम्मीद को खत्म कर चुकी है। इस घटनाक्रम का सबसे बड़ा असर कांग्रेस पर पड़ सकता है, जो हरियाणा में बीजेपी का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है। खासकर उन सीटों पर, जहां कांग्रेस ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, वहां पर AAP के उम्मीदवारों की मौजूदगी वोटों के बंटवारे का कारण बन सकती है। यह स्थिति बीजेपी के लिए फायदेमंद साब...

भारत के चुनावी तंत्र में सोशल मीडिया की भूमिका

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भारत के चुनावी तंत्र में सोशल मीडिया की भूमिका भारत में लोकतंत्र का आधार चुनाव है, और जब बात चुनाव की होती है, तो एक नई क्रांति की शुरुआत हुई है - सोशल मीडिया के माध्यम से। एक समय था जब चुनावी प्रचार पोस्टर, रैलियों और टेलीविजन विज्ञापनों तक सीमित था, लेकिन आज के दौर में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया है। आज हर राजनीतिक दल और नेता अपने प्रचार के लिए इन डिजिटल साधनों पर निर्भर हैं। सवाल यह है कि सोशल मीडिया ने चुनावी तंत्र को कितना प्रभावित किया है और किस तरह से? सोशल मीडिया का असली जोर 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान देखा गया। यह वह समय था जब नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर प्रचार किया। इंटरनेट और सस्ते डेटा प्लान्स की उपलब्धता ने सोशल मीडिया को आम आदमी तक पहुंचा दिया। 2019 के चुनाव तक आते-आते, सोशल मीडिया का उपयोग हर राजनीतिक दल की रणनीति का अहम हिस्सा बन गया। 2019 के चुनाव में लगभग 40 करोड़ भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे, जिनमें से अधिकतर सोशल मीडिया पर सक...