पाकिस्तान में गदर पार्ट - 2

इमरान खान को जेल से छुड़ाने सड़कों पर जन सैलाब....

सेना को जनता की सीधी चुनौती... 

क्या पाकिस्तान में भी बांग्लादेश की तरह गदर होने वाला है?

पाकिस्तान की राजनीति इस समय बड़े उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है, और इस पूरे परिदृश्य के केंद्र में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान हैं। 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सत्ता से बाहर किए जाने के बावजूद, इमरान खान की लोकप्रियता और उनका प्रभाव अब भी पाकिस्तान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इमरान खान के समर्थन में हाल ही में हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों ने न केवल पाकिस्तान की सरकार बल्कि सेना को भी बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। अंतरराष्ट्रीय जगत भी पाकिस्तान की इस आंतरिक उथल-पुथल को बारीकी से देख रहा है, ताकि समझा जा सके कि इमरान खान की वापसी का पाकिस्तान और क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा।



इमरान खान का उदय और सत्ता से पतन

इमरान खान की राजनीति में यात्रा एक क्रिकेट आइकॉन से लेकर 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने तक का सफर किसी क्रांतिकारी बदलाव से कम नहीं था। "नया पाकिस्तान" और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार का उनका वादा जनता में गहराई तक पैठ बना गया था। उनकी पार्टी, Pakistan Tehreek-e-Insaf (PTI), ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी और वे उम्मीदों के साथ प्रधानमंत्री बने थे कि पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था और आर्थिक हालात को सुधारेंगे।

हालांकि, उनकी सरकार का कार्यकाल आर्थिक अस्थिरता, बढ़ती असंतुष्टि और कुप्रबंधन के आरोपों के साथ आगे बढ़ा। 2022 में अविश्वास प्रस्ताव, जिसे व्यापक रूप से पाकिस्तान की ताकतवर सेना का समर्थन प्राप्त था, के बाद इमरान खान को सत्ता से बाहर कर दिया गया। लेकिन खान ने हार मानने से इंकार कर दिया।



विरोध प्रदर्शन और जनता का समर्थन: एक नया अध्याय

सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान खान ने खुद को एक पीड़ित के रूप में पेश किया, जो सेना और राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार हुए हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद मई 2023 में हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों ने यह साबित कर दिया कि इमरान खान अब भी जनता के दिलों में बसे हुए हैं। हजारों की संख्या में उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए, और पुलिस एवं सैन्य बलों से आमने-सामने की भिड़ंत हुई। ये विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान की सत्ता और जनता के बीच बढ़ती दरार को उजागर करते हैं।

विशेष रूप से युवाओं के बीच इमरान खान की छवि एक बदलाव के प्रतीक के रूप में उभरी है। उनकी anti-establishment rhetoric और न्यायिक सुधारों की मांग ने उन लोगों के बीच गहरी पैठ बनाई है जो मानते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल देश के लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। इमरान खान के समर्थन में उठी इस लहर ने न केवल सरकार, बल्कि सेना के लिए भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।



सेना बनाम सिविलियन शासन: सत्ता की लड़ाई

पाकिस्तान की राजनीतिक प्रणाली में सेना का दखल लंबे समय से चलता आ रहा है, और मौजूदा संकट इससे अलग नहीं है। इमरान खान को सत्ता से हटाने में सेना की भूमिका की चर्चाएं आम हैं, और यही धारणा इन विरोध प्रदर्शनों को और भड़का रही है। सेना, जिसे पाकिस्तान की सबसे ताकतवर संस्था माना जाता था, अब खुद इन विरोधों के केंद्र में है।

इमरान खान ने इस जनभावना का पूरी तरह से लाभ उठाते हुए सेना को अपनी कहानी में खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया है। खुद को लोकतंत्र और स्वतंत्र न्यायपालिका के रक्षक के रूप में पेश कर, इमरान खान ने पाकिस्तान के सत्ता संतुलन को चुनौती दी है, जहां सेना का राजनीति पर गहरा प्रभाव रहा है।



पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान का महत्व

सत्ता से बाहर होने के बावजूद, इमरान खान की राजनीतिक पकड़ अब भी मजबूत है। उनकी समर्थकों की भीड़ जुटाने की क्षमता और जनसंपर्क कौशल उन्हें पाकिस्तान की राजनीति में एक अजेय शक्ति बनाते हैं। उनकी करिश्माई नेतृत्व शैली और समर्थकों की निष्ठा, विशेष रूप से youth support, उन्हें भविष्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाए रखती है।

2024 के आम चुनाव निकट हैं, और सवाल यह है कि क्या इमरान खान दोबारा सत्ता में वापसी कर पाएंगे, या फिर establishment उन्हें राजनीतिक खेल से बाहर करने में सफल होगी? PTI अब भी जनता के बीच लोकप्रिय है, और यदि इमरान खान को और अधिक दमन का सामना करना पड़ा, तो इससे और अधिक राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है।



पाकिस्तान के राजनीतिक संकट के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महसूस किया जा रहा है। एक परमाणु-संपन्न राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान की स्थिरता क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, खासकर अफगानिस्तान और भारत के संदर्भ में। पश्चिमी देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, की गहरी रुचि है कि पाकिस्तान स्थिर रहे, ताकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कुशलता से जारी रखा जा सके।

इमरान खान के tenure के दौरान पश्चिम-विरोधी rhetoric और उनके चीन एवं रूस के साथ बढ़ते संबंधों ने पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को जटिल बना दिया था। यदि खान दोबारा सत्ता में आते हैं, तो यह पाकिस्तान की foreign policy में एक बदलाव का संकेत हो सकता है, जो देश को पश्चिम से दूर और पूर्वी देशों के करीब ले जा सकता है।

इमरान खान की मौजूदा राजनीतिक संकट में भूमिका उनकी दृढ़ता और लोकप्रियता का प्रमाण है। कठिनाइयों के बावजूद, खान अब भी पाकिस्तान की राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। जैसे-जैसे विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं, आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इमरान खान जनता के समर्थन के बल पर अपनी स्थिति मजबूत कर पाएंगे, या सेना और सरकार उनके प्रभाव को सीमित करने में सफल होंगे।

जो भी हो, इमरान खान की राजनीतिक गाथा अभी समाप्त नहीं हुई है, और इसके परिणाम पाकिस्तान और पूरे क्षेत्र के लिए गहरे होंगे।

Top Keywords: Imran Khan, Pakistan political crisis, Pakistan Tehreek-e-Insaf, military vs civilian rule, Pakistan protests, Imran Khan's arrest, Pakistan general elections 2024, Pakistan government, Pakistan army, Imran Khan’s supporters, Pakistan’s democratic future, international relations, Imran Khan's political influence.


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मोहम्मद यूनुस ने ऐसे किया बांग्लादेश का 'बेड़ा गर्क'

विदेशी धरती पर राहुल की महाभारत का मकसद क्या?

शीला दीक्षित के बाद आतिशी....